हिन्दुस्तान और पाकिस्तान बॉलीवुडिया सिनेमा के क्लासिक उदाहरण हैं
जिनमें दो भाई एक-दूसरे से कुम्भ के मेले में बिछड़ गए होते हैं, इसके बाद
उन दोनों का पालन-पोषण बिलकुल ही अलग-अलग परिवेश में हुआ जिसका असर उनकी
सोच और पसंद-नापसंद पर पड़ा. तो सोचिए कि यदि उन दोनों का कभी कहीं
एक-दूसरे से सामना हो गया तो क्या होगा? अफरा-तफरी मच जाएगी न!
चाहे वह राजनीति हो, डिप्लोमेसी हो, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध या फ़िर कि फ़िल्में, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान किसी भी मुद्दे पर एक राय हो ही नहीं सकते. और इस बात को साबित करने के लिए हमनें 11 बॉलीवुडिया फ़िल्में चुनी हैं जिन्हें बीते दिनों अलग-अलग कारणों से पाकिस्तान ने अपने यहां बैन कर दिया है.
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इस मुद्दे पर पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के वाइस-चेयरमैन मुहम्मद अशरफ गोंदाल ने कहा कि ‘उनके देश में इसको लेकर सख्त रवैया और मापदंड है कि कौन सी फ़िल्में हैं जो सुरक्षा एजेंसियों और राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ जाती हैं’.
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हालांकि, पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के अनुसार पाकिस्तान के आला अधिकारियों और ख़ूफिया एजेंसियों को ‘तालिबान’ के माध्यम से दिल्ली में न्यूक्लियर बम लगाते हुए दिखाया गया था. अब बाद बाकी तो आप ख़ुद ही समझदार हैं.
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और हम अब तक यही सोचते रहे हैं कि हमारा सेंसर बोर्ड बड़ा ही खूसट और दकियानूसी है!
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चाहे वह राजनीति हो, डिप्लोमेसी हो, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध या फ़िर कि फ़िल्में, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान किसी भी मुद्दे पर एक राय हो ही नहीं सकते. और इस बात को साबित करने के लिए हमनें 11 बॉलीवुडिया फ़िल्में चुनी हैं जिन्हें बीते दिनों अलग-अलग कारणों से पाकिस्तान ने अपने यहां बैन कर दिया है.
1. द डर्टी पिक्चर
अगर किसी भी फ़िल्म को इंडिया में ‘A’ सर्टिफिकेट के साथ रिलीज़ किया जाता है, तो इसकी पूरी सम्भावना होती है कि इस फ़िल्म को पाकिस्तान ख़ुद के यहां बैन कर देगा. इसलिए जब बॉलीवुड की अदाकारा विद्या बालन ने ‘डर्टी पिक्चर’ में सिल्क स्मिता का किरदार निभाया तो पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने इसे फूहड़, उत्तेजक और बाज़ारू घोषित करते हुए बैन कर दिया.Banned Bollywood Movie in Pakistan |The Dirty Picture |David |Khiladi 786 |Chennai Express Etc |
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2. तेरे बिन लादेन
इस बार पाकिस्तानी फ़िल्म इंडस्ट्री ने एक ऐसी फ़िल्म को बैन कर दिया था जिसमें उनके देश के ही गायक-ऐक्टर अली ज़फर मुख्य किरदार निभा रहे थे. ‘तेरे बिन लादेन’ को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया क्योंकि इस विवादित फ़िल्म में अल-कायदा के प्रमुख को टारगेट किया गया था, जो पाकिस्तान को नागवार गुजरा. पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड का मानना था कि इसमें बिन लादेन का मज़ाक बनाया गया था, जिसे देख कर लोगों की भावना भड़क सकती थी और पाकिस्तान में दंगे भी हो सकते थे.Source: impawards
3. खिलाड़ी 786
अक्षय कुमार बॉलीवुड सिनेमा जगत के खिलाड़ी हो सकते हैं, मगर पाकिस्तान पर इनके खिलंदड़पने का कोई असर नहीं पड़ा. पाकिस्तान में और ख़ास तौर पर मुस्लिमों के बीच ‘786’ को पवित्रता का दर्जा प्राप्त है. तो जैसे ही इस कॉमेडी फ़िल्म के पोस्टर्स पाकिस्तान में जारी किए पाकिस्तान ने धार्मिक कारणों से इस फ़िल्म के रिलीज़ पर ही रोक लगा दी.Source: pages.rediff.com
4. जब तक है जान
‘जब तक है जान’ फ़िल्म में शाहरुख़ खान ने इंडियन आर्मी ऑफिसर का किरदार निभाया था, जो बम-निरोधक टीम का हिस्सा थे. और जैसा कि अमूमन होता रहा है कि पाकिस्तान को इंडियन आर्मी से ही ख़ुन्नस है तो फ़िर फ़िल्में कैसे अछूती रह सकती हैं. पाकिस्तानी आर्मी को लेकर कुछ डायलॉग्स की वजह से इस फ़िल्म को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया था, जब तक यश चोपड़ा ने अपनी पहुंच और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इस फ़िल्म को जारी नहीं करवा लिया.Source: wikipedia
5. चेन्नई एक्सप्रेस
शाहरुख़ खान बॉलीवुड के ऐसे सितारे हैं जिनकी फ़िल्में सरहद पार भी उसी शिद्दत से देखी जाती हैं जैसे हमारे देश में. मगर शाहरुख़ की इस फ़िल्मी गाड़ी को पाकिस्तान में घुसने से रोक दिया गया, जो ईद के मौके पर वहां रिलीज़ होने वाली थी. मगर इस दिन ही पाकिस्तानी सिनेमा इंडस्ट्री में चार फ़िल्में- जोश, इश्क ख़ुदा, वार और मेरा नाम अफ्रीदी रिलीज़ होने वाली थीं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ को रोक दिया गया, हालांकि इसे फ़िर बाद में किसी और ही दिन रिलीज़ किया गया.Source: pinkvilla
6. एक था टाइगर
एक और ईद पर जारी होने वाली फ़िल्म ‘एक था टाइगर’ को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया. इस फ़िल्म की पटकथा भारत और पाकिस्तान की ख़ूफिया एजेंसियों के बीच के खींच-तान पर लिखी गयी थी. इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि इस सलमान और कट्रीना की फ़िल्म जिसमें वे दोनों ख़ूफिया किरदार निभा रहे थे, को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया.इस मुद्दे पर पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के वाइस-चेयरमैन मुहम्मद अशरफ गोंदाल ने कहा कि ‘उनके देश में इसको लेकर सख्त रवैया और मापदंड है कि कौन सी फ़िल्में हैं जो सुरक्षा एजेंसियों और राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ जाती हैं’.
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7. एजेंट विनोद
‘एजेंट विनोद’ फ़िल्म को हमारे देश में भले ही दर्शक न मिले हों, मगर सैफ अली खान की इस ख़ूफिया फ़िल्म को पाकिस्तान में जारी होने का मौका ही नहीं मिला. इस फ़िल्म को इसलिए बैन कर दिया गया क्योंकि इसमें पाकिस्तान की ख़ूफिया एजेंसी आई.एस.आई को पाकिस्तान के अनुसार गलत रोशनी में दिखाया गया था.हालांकि, पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के अनुसार पाकिस्तान के आला अधिकारियों और ख़ूफिया एजेंसियों को ‘तालिबान’ के माध्यम से दिल्ली में न्यूक्लियर बम लगाते हुए दिखाया गया था. अब बाद बाकी तो आप ख़ुद ही समझदार हैं.
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8. भाग मिल्खा भाग
‘भाग मिल्खा भाग’ एक बेहद खूबसूरत और प्रेरणादायक फ़िल्म है जिसमें एक आम इंसान की दास्तां को बयां किया गया है, जिसमें वह विभाजन और दुनिया की तमाम झंझावतों से लड़ते हुए अपने सपनों की उड़ान भरता है. और यही शख्स बाद में जाकर पूरी दुनिया में “भारत के फ्लाइंग सिक्ख” के नाम से जाना जाता है. यहां तक तो सब-कुछ ठीक है मगर, पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड को यह नागवार लगा कि इस फ़िल्म ने पाकिस्तान को सही ढंग से प्रदर्शित नहीं किया. अब जैसा कि फ़िल्म हिन्द-पाक विभाजन को भी दर्शाती है और इस फ़िल्म का एक डायलॉग ‘मुझसे नहीं होगा. मैं पाकिस्तान नहीं जाऊंगा’ इस फ़िल्म को पाकिस्तान में बैन किए जाने का कारण बन गया.Source: wallpaperssfree
9. डेविड
बिजोय नांबियार अपनी फ़िल्मों में डार्क ह्यूमर के लिए जाने जाते हैं, जिसका एक बेहतरीन उदाहरण ‘शैतान’ फ़िल्म है. मगर समस्या उनकी एक दूसरी और कम चर्चित फ़िल्म “डेविड” से हो गई जिसे पाकिस्तान में बैन कर दिया गया. पाकिस्तान में इस फ़िल्म पर बैन को उचित ठहराते हुए पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के चेयरमैन राय अकबर ने कहा कि वैसे तो फ़िल्म को लेकर हमें कई समस्याएं थी, मगर हम नहीं समझते कि यह पाकिस्तान में दिखाने लायक फ़िल्म थी.Source: swimtop
10. रांझणा
एक ऐसी फ़िल्म जिस पर बैन किसी के भी पल्ले नहीं पड़ी और जिसने सभी को अचंभे में डाल दिया वह “रांझणा” थी. इस फ़िल्म में एक हिन्दू लड़के को एक मुस्लिम लड़की के प्यार में पड़ते दिखाया गया था. जिससे पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड को ख़ासी आपत्ति थी. इस फ़िल्म ने इंडिया में तो बहुत बढ़िया कारोबार किया मगर पाकिस्तान को सोनम कपूर (मुस्लिम) के किरदार से दिक्कत थी जो दो-दो हिन्दू लड़कों के प्यार में पड़ कर उनके अनुसार इस्लाम को कलंकित और कलुषित करती है.Source: hdwallpapers
11. लाहौर
पाकिस्तान और हिन्दुस्तान चाहे जंग के मैदान में भिड़ें या फ़िर खेल के मैदान में, चिंगारियां तो भड़कती ही हैं. ‘लाहौर’ एक ऐसी फ़िल्म थी जिसमें राजनीतिक ख़ुन्नस को किकबॉक्सिंग के रिंग में सुलझाने की कोशिश की गयी थी, मगर पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड को यह चीज़ें और डायलॉग्स नहीं पचीं, जिसकी वजह से उन्होंने इसे बैन करने का आसान रास्ता चुन लिया.Source: uthentertainment
और हम अब तक यही सोचते रहे हैं कि हमारा सेंसर बोर्ड बड़ा ही खूसट और दकियानूसी है!
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Reviewed by Newstechcafe
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May 24, 2015
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